ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी सेना के बर्बर हमलों के बीच क़ुद्स डे के आगमन पर जारी अपने बयान में ईरान की शक्तिशाली सैन्य यूनिट आईआरजीसी ने कहा है कि कुद्स दिवस केवल फिलिस्तीन का मुद्दा नहीं है, बल्कि इस्लामी राष्ट्रों की एकता और ज़ायोनी कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक है।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर ने बयान में कहा है कि 47 साल पहले इमाम खुमैनी ने रमजान के आखिरी शुक्रवार को "कुद्स दिवस" घोषित किया था और इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई के मार्गदर्शन में आज कुद्स दिवस ने फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए एक आंदोलन का रूप ले लिया है।
आईआरजीसी ने आगे कहा कि ऑपरेशन स्टॉर्म अल-अक्सा और ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनीआक्रमण ने वैश्विक चेतना को हिला दिया है और फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने क्षेत्र पर हावी होने के अमेरिका और इस्राईल के सपनों को चकनाचूर कर दिया है।
बयान में कहा गया है कि 18 महीने के क्रूर आक्रमण के बावजूद, ज़ायोनी शासन न केवल अपने सैन्य उद्देश्यों में विफल रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपमान और हार का सामना कर रहा है।
रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर ने कुद्स आंदोलन के शहीदों सय्यद हसन नसरुल्लाह, इस्माइल हनिया, याह्या सिनवार, हाशिम सफीउद्दीन और जनरल सुलेमानी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कुद्स दिवस अहंकारी और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले ज़ायोनी शासन के खिलाफ़ मुस्लिम उम्मह की जागरूकता का प्रतीक है।
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